भारत की धरती पर उत्पन धार्मिक विवादों में से एक है,ज्ञान व्यापी मस्जिद विवाद। वाराणसी में काशी विश्वनाथ
मंदिर परिसर की दीवारों से सटा ज्ञान व्यापी मस्जिद, 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी
लड़ाई चल रही है। हिन्दू पक्ष का दावा है,मस्जिद के वाजुखने में 12.8 व्यास का शिवलिंग मिला है। जिसे
अक्रमकताओं से बचाने के लिए तत्कालीन मुख्य पुजारी ने ज्ञान वापी कुएं में छुपा दिया था। ज्ञान व्यापी मुद्दा वर्ष
2022 में सर्वे होने के बाद ये ज़्यादा चर्चे में है।
इस मामले में पहली याचिका 17 अगस्त 2021 को वाराणसी शहर की 5 महिलाओं ने सत्र न्यायालय में दायर की थी।
याचिका में महिलाओं की मांग थी कि उन्हें ज्ञान व्यापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के दर्शन व नियमित
पूजन की अनुमति दी जाए। अगस्त 2021 में शुरू हुई सुनवाई अप्रैल 2022 तक चली। 8 अप्रैल 2022 को सत्र
न्यायालय के सिविल जज सीनियर डिविज़न ने वक़ील अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया। उन्हें
मस्जिद में सर्वे कराने की अनुमति दी। कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट 17 मई तक जमा करने को कहा। कोर्ट के आदेश पर
मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई और हाई कोर्ट में अपील की, जिसे हाई कोर्ट ने ख़ारिज करते हुए सर्वे जारी रखने का
आदेश दिया। 6 और 7 मई को सर्वे की तारीख़ तय की थी। 6 मई को सर्वे हुआ। जिसमें हिंदू मंदिर की कलाकृतियां
मिली। 7 मई को मुस्लिम पक्ष के विरोध पर सर्वे नहीं हो सका। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कमिश्नर को हटाने की मांग
रखी। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। अपितु विशाल सिंह को विशेष कमिश्नर नियुक्त किया। जिन्हें पूरी टीम
का जिम्मा सौंपा गया। कोर्ट ने आदेश दिया मस्जिद समते पूरे परिसर का सर्वे किया होगा। 14 मई को कमिश्नर
अजय कुमार मिश्र की अगुवाई में सर्वे शुरू हुआ। अगले दिन दूसरे राउंड का सर्वे हुआ। इस दौरान हिन्दू पक्ष ने ज्ञान
व्यापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया। इस दावे पर कोर्ट ने शिवलिंग वाली जगह को सील करने का आदेश दिया।
कोर्ट के आदेश पर वाराणसी ज़िले के जिलाधिकारी ने वज पर पाबंदी लगा दी। जिसके कारण मस्जिद में सिर्फ 20
लोगों को नमाज़ पढ़ने की इजाजत दी गयी।
सर्वे टीम ने रिपोर्ट जमा करने के लिए समय मांगा। जिसके कारण कोर्ट की सुनवाई 18 मई तक टल गयी। इस बीच
कोर्ट ने अजय मिश्र को कमिश्नर पद से हटा दिया। जिससे विवाद और बढ़ गया। 18 मई को सुनवाई नहीं हो सकी।
लेक़िन 19 मई को दोनों टीमों ने अपना अपना सर्वे रिपोर्ट जमा कर दिया। जिस दिन रिपार्ट जमा किया जा रहा था।
उसी दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच पर रोक लगा दिया। जिससे सुनवाई 20
मई तक टल गयी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को वाराणसी सत्र न्यायालय को जांच जारी रखने को कहा। 17 मई
के फैसले में नमाज़ और पूजा को लेकर सुनाया गया फ़ैसला 8 हफ्तों तक जारी रखने को कहा गया। उसके बाद गर्मी
छुट्टी ख़त्म होने पर सुनवाई शुरू हुई। हिन्दू पक्ष ने रिपोट सार्वजनिक करने को कहा जिसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध
किया। लेकिन कोर्ट ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आदेश सुनाया। वादी और हिन्दू पक्ष को रिपोर्ट मिलने से पहले ही
वीडियो फुटेज सार्वजनिक हो गया। जिसमें साफ साफ हिन्दू कलाकृतियों की तस्वीर दिख रही थी। साथ ही शिवलिंग
होने का भी प्रमाण था। अगले दिन जब वादी रिपोर्ट वापस देने कोर्ट में गयीं। कोर्ट ने रिपोर्ट वापस लेने से मना कर
दिया। फुटेज लीक होने की जांच के आदेश दे दिए।
जुलाई में शुरू हुई सुनवाई के बाद शुक्रवार 21 जुलाई को वाराणसी सत्र कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर ASI द्वारा सर्वे
कराये जाने का आदेश दिया। जस्टिस ए. के. विश्वेश्वर ने आदेश सुनाते हुए कहा ASI को 4 अगस्त तक कोर्ट में सर्वे
रिपोर्ट जमा करना है। आज सुबह यानी 24 जुलाई की सुबह 7.30 बजे ASI की टीम मस्जिद परिसर पहुंची और सर्वे का
काम शुरू कर दिया। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया। सुप्रीम कोर्ट में 11.15 मिनट पर सुनवाई शुरू हुई।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट जाने को कहा,साथ ही वाराणसी सत्र न्यायालय के फैसले पर
रोक लगा दिया। 26 जुलाई शाम 5 बजे तक मस्जिद में कोई सर्वे नहीं हो सकता है।